वीजा की संख्या लगभग 3,000 से घटाकर 500 कर दी जाए और यात्रा की अवधि 10 दिनों के बजाय 5 दिनों तक सीमित कर दी जाए:कालका

गुरु नानक देव जी की जयंती के अवसर पर ननकाना साहिब जाने वाले सिख जत्थे को अनुमति दी जाए: सरदार हरमीत सिंह कालका की मांग

डीएसजीएमसी अध्यक्ष ने सिख संगत की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जत्थे की मंजूरी के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह को पत्र भेजा
नई दिल्ली 16 सितंबर, 2025:दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका ने आज जारी एक बयान में नवंबर में पाकिस्तान के गुरुद्वारा ननकाना साहिब में गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व समारोह में सिख प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा, “मैं समझता हूँ कि वर्षों से चली आ रही यह श्रद्धा और आस्था केवल सिखों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया भर में गुरु नानक साहिब के चरणों से जुड़े हर श्रद्धालु की है। हर साल श्रद्धालु गुरु साहिब के जन्मस्थान ननकाना साहिब जाकर प्रकाश पर्व समारोह में शामिल होना चाहते हैं। अब केंद्र सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस तीर्थयात्रा पर रोक लगाने की कोशिश की है। मैं सरकार से अनुरोध करता हूँ कि कम से कम एक जत्थे को जाने की अनुमति दी जाए।”

कालका ने सुझाव दिया कि यदि वीजा की संख्या लगभग 3,000 से घटाकर 500 कर दी जाए और यात्रा की अवधि 10 दिनों के बजाय 5 दिनों तक सीमित कर दी जाए, तो भी श्रद्धालु इस धार्मिक यात्रा से वंचित नहीं रहेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार को अपने आदेश पर पुनर्विचार कर इसमें संशोधन करना चाहिए। डीएसजीएमसी इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा करेगी और ज़रूरत पड़ने पर व्यक्तिगत बैठक भी की जाएगी।

श्री कालका ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह को एक पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि गुरु नानक साहिब के लाखों श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस धार्मिक यात्रा को मंज़ूरी दी जाए। इससे पहले अगस्त महीने में उन्होंने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को इस संबंध में एक पत्र लिखा था।

अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “यह विचारणीय विषय है कि यदि पाकिस्तान क्रिकेट टीम भारतीय टीम के साथ मैच खेल सकती है, तो सिख समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें ननकाना साहिब जाने की भी अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार को इस संवेदनशील मुद्दे पर संतुलित निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि इससे समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।”

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